जब गुरुदेव ने बचायी मित्र की जान


ॐ श्री गुरुवे नमः 
जब गुरुदेव ने बचायी मित्र की जान


            गुरुदेव की कृपा के बारे में क्या कहूँ मुझे जीवन में जब जब निराशा ने घेरा है या मुझे लगा कि यह काम नहीं हो सकता, बस एकदम से गुरु कृपा हो जाती है और कार्य आराम से हो जाता है। ऐसे तो बहुत संस्मरण है लेकिन एक खास है एक बार मेरे बहुत खास मित्र जिन्हें मैं अपने बेटे जैसा मानती थी वह अपने परिवार की किसी बात से व्यथित होकर आत्महत्या का विचार कर घर से चले गए मैंने गुरुदेव से मन ही मन उन्हें बचाने के लिए कहा उन्हें चारों तरफ खोजा जा रहा था। तभी रात में दो बजे उनका फ़ोन आया कि वह स्टेशन पर हैं, आप उन्हें लेने आ जाये जब वह मिले तब उन्होंने बताया कि वह तो नदी में कूदने के लिए बस में बैठकर नदी तक पहुँच गए थे कूदने ही जा रहे थे कि पता नहीं क्या प्रेरणा हुई वह वापस घर के लिए बस में बैठ गए। इस प्रकार गुरुदेव ने पता नहीं जीवन में कितनी बार मेरी तथा मेरे परिवार तथा मित्रां की मदद की है। 



            आज मेरे जीवन में जो भी है वह सब गुरुदेव की कृपा है। बच्चे, परिवार संस्कारी आज्ञाकारी समाज में मान प्रतिष्ठा सब गुरुदेव की कृपा से है। मेरे साथ तो गुरुदेव हर क्षण रहते हैं। गुरुदेव की कृपा को शब्दों में बयाँ कर पाना नामुमकिन है क्योंकि वह सर्वत्र व्याप्त हैं सब देख रहे हैं, सबके लिए कल्याण कर रहें हैं। ध्यान से देखो तो परम हितैषी रूप में अपने सब भक्तां के जीवन में मौजूद हैं उनकी कृपा से यह जगत चल रहा है। मेरा तो सबसे मजबूत सहारा है जो भी है बस गुरुकृपा चारों तरफ बरस रही है। मैं तो बस उसी में मगन हूँ।
गुरु की एक दासी 


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बीनू तिवारी
लखनऊ